सहारनपुर

“नो हेलमेट-नो पेट्रोल” अभियान कागज़ों तक सीमित, पंपों पर खुलेआम उड़ रही धज्जियाँ

 

शहरी चौपाल ब्यूरो 

सहारनपुर। सड़क सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर “नो हेलमेट-नो फ्यूल” अभियान 1 सितंबर से 30 सितंबर तक पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। मंगलवार को कई पंपों का जायज़ा लेने पर साफ हो गया कि यह अभियान सिर्फ़ पुलिस की मौजूदगी तक ही चलता है। जैसे ही चेकिंग खत्म होती है, पंप कर्मचारी और मालिक नियमों को ताक पर रख देते हैं।


बलियाखेड़ी ब्लॉक के सामने स्थित एक पेट्रोल पंप पर बिना हेलमेट लगाए युवक आराम से पेट्रोल भरवाकर निकल गए। न तो किसी कर्मचारी ने उन्हें टोका और न ही हेलमेट लगाने की ज़रूरत महसूस की। यही हाल देहरादून रोड ट्रांसपोर्ट नगर व भारत पेट्रोलियम पंप पर भी देखने को मिला।
हालांकि, ममता पांडे नर्सिंग होम के पास इंडियन ऑयल पंप पर एक कर्मचारी ने जिम्मेदारी दिखाते हुए बिना हेलमेट युवकों को पेट्रोल देने से साफ मना कर दिया। लेकिन यहाँ भी युवकों ने चालाकी कर दूसरे का हेलमेट लेकर पेट्रोल भरवाया और फिर बिना हेलमेट के ही निकल गए।
पंप कर्मचारियों का कहना है कि हेलमेट न पहनने वाले लोग अक्सर झगड़ा करते हैं और वे विवाद से बचने के लिए तेल दे देते हैं। वहीं, यह भी साफ दिखा कि जब-जब एसएसपी के निर्देश पर पंपों पर ड्यूटी लगाई जाती है तभी इस नियम का पालन होता है।

*ज़िम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते पंप मालिक*

यह सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। पेट्रोल पंप मालिकों को भी अपने स्तर पर सख्ती बरतनी होगी। अगर वे अपनी सेल बढ़ाने के चक्कर में नियमों को तोड़ने देंगे, तो सड़क हादसों में होने वाली मौतों के लिए कहीं न कहीं वे भी जिम्मेदार होंगे।

जनता के नाम संदेश

हर बाइक सवार से अपील है कि अपनी और अपनों की ज़िंदगी बचाने के लिए हमेशा हेलमेट पहनें। हेलमेट आपकी सुरक्षा ढाल है, सिर्फ चालान से बचने का ज़रिया नहीं।
नियम सबके लिए बने हैं, इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी भी सबकी है—पुलिस की, पंप मालिकों की और आम नागरिक की।

पुलिस प्रशासन से सख्ती की मांग

मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद नियमों की अनदेखी प्रदेशभर में आम हो गई है। ऐसे में ज़रूरी है कि पुलिस और प्रशासन पंपों पर नियमित निगरानी रखें और नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें ताकि सड़क सुरक्षा अभियान महज़ कागज़ी औपचारिकता न बनकर जनहित की पहल साबित हो सके।

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