पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री के गृह जनपद में टूटी सड़के राहगीरों के लिए साबित हो रही “काल”
उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार की करनी और कथनी में नजर आ रहा अंतर

शहरी चौपाल ब्यूरो
गड्ढामुक्त प्रदेश बनाने के तमाम दावें हुए खोखले साबित
पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सो रहे कुम्भकरणी नींद
आखिर कहां गया सरकारी खजाने का बजट,गहरे गड्ढों ने कर दिया चलना “मुहाल”
सड़को में बने गड्ढों से हादसों में हो रहा इजाफा,विभाग को है बड़े हादसो का इंतजार
बेहट , भाजपा सरकार की करनी और कथनी में कितना अंतर है इसका अंदाजा चिलकाना-गंदेवड मार्ग,हतनीकुंड-रायपुर मार्ग एवं कलसिया उसंड-सायफन मार्ग की खस्ता हालत को देखकर लगाया जा सकता है प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही दावे किए गए थे कि पूरे प्रदेश को गड्ढा मुक्त प्रदेश बनाया जाएगा परंतु सड़कों में बने गड्ढे प्रदेश सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रहे हैं इन मार्गों पर इतने गड्ढे बन गए हैं कि यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क।
उल्लेखनीय हैं कि इन मार्गो में बने गहरे गढ्ढों चलते यात्रियों को भारी परेशानी की सामना करना पड़ रहा हैं। सड़क के बीचों बीच बने बड़े-बड़े गड्ढों के कारण वाहनों के अनियंत्रित होकर पलटने की घटना आये दिन घटती रहती हैं,परन्तु लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही हैं। बरसात का मौसम होने के कारण सड़क में बने बड़े-बड़े गड्ढों में पानी भरने से गड्ढे दिखाई नहीं देते हैं जिस कारण दुपहिया वाहन गड्ढे में गिर जाते हैं ओर वाहन चालक चोटिल हुए बिना नहीं रहते हैं। ग्रामीणों का आरोप हैं कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सड़क में बने गड्ढों को भरने के लिये कई बार शिकायत की जी चुकी हैं, परन्तु पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की कुम्भकरणी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही है,जिससे साफ जाहिर होता हैं कि पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारीगण किसी बड़ी दुर्घटना की इन्तजार में हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि सड़क में बने बड़े-बड़े गड्ढों के कारण यात्रियों के साथ-साथ हाईवे किनारे बसें लोगों को भी भारी परेशानी की सामना करना पड़ रहा हैं। जिसके चलते ग्रामीणों ने कई बार गड्ढों को भरने की शिकायत अधिकारियों से की हैं,परन्तु उनके कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए रहा कि अगर जल्द ही सड़कों के गड्ढों को नहीं भरा गया तो उन्हें मजबूरन आन्दोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।