दशलक्षण पर्व के नवें दिन श्रद्धा भाव से की उत्तम आर्किचन्य धर्म की पूजा

शहरी चौपाल ब्यूरो
सहारनपुर।. जैन समाज द्वारा दस दिवसीय दशलक्षण महामांगलिक अनुष्ठान के अंतर्गत नवें दिवस पर उत्तम आकिंचन्य धर्मष् की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से की गई। प्रातःकाल जैन बाग स्थित अतिशयकारी मंदिर में जगत के समस्त प्राणियों की सुख-शांति एवं कल्याण के लिए अभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन हुआ। श्री वीरोदय तीर्थ मंडपम में परम पूज्य आचार्य प्रवर श्री विमर्श सागर जी महाराज ने मंगल देशना प्रदान करते हुए कहा कि जब साधक संयम, तप और त्याग की चरम साधना में लीन होकर परिग्रह का त्याग करता है, तब आत्मा में उत्तम आकिंचन्य धर्म प्रकट होता है, जो केवल दिगंबर महामुनिराज को होता है। उन्होंने बताया कि धन-संपत्ति और भौतिक वैभव का त्याग सरल है, किंतु राग-द्वेष, क्रोध, मान, माया और लोभ जैसी अंतरंग बुराइयों का त्याग कठिन है। इन्हीं बंधनों से मुक्त होकर आत्मा असीम सुख और मोक्ष की प्राप्ति कर सकती है। जैन समाज के लोकप्रिय अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि आत्मा के ज्ञान स्वरूप की अनुभूति और अपरिग्रह भाव ही आकिंचन्य धर्म है। इस भावना से जीवन में आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। वर्षायोग संयोजक एवं पूर्व महानगर भाजपा अध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि जो व्यक्ति सभी प्रकार के परिग्रह से विमुख होकर समता भाव में लीन रहता है, वही आकिंचन्य धर्म को धारण कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है। सामाजिक-धार्मिक कार्यों में सदैव अग्रणी सीए अनिल जैन ने बताया कि आकिंचन्य धर्म मोक्ष का समागम कराने वाला है। जितने भी तीर्थंकर भगवान सिद्ध हुए हैं या भविष्य में होंगे, सभी ने आकिंचन्य धर्म की सिद्धि प्राप्त कर ही परम पद पाया। इसलिए गृहस्थों को भी आकिंचन्य धर्म की भावना भानी चाहिए। धर्मसभा में भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। विशेष रूप से राजेश कुमार जैन (अध्यक्ष), राकेश जैन (संरक्षक), सीए अनिल जैन, महामंत्री सजीव जैन, उपमंत्री अविनाश जैन नाटी, अरुण जैन, उपाध्यक्ष विपिन जैन, वरिष्ठ पत्रकार नीना जैन, चै. अनिल जैन मंटू, उप चै. संदीप जैन, सीए वैभव जैन, अजय जैन, श्रेयांश जैन, नितिन जैन, अनिल जैन एडवोकेट, विपिन जैन , आचमन जैन, सिद्धार्थ जैन, प्रवीण जैन सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।