उत्तर प्रदेश

यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगी नई उड़ान, योगी कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला

 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने की दिशा में बड़ा निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025 (UP-ECMP-2025) को मंजूरी दी है। यह नीति 1 अप्रैल 2025 से आगामी 6 वर्षों तक लागू रहेगी। इसके तहत डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल, मल्टीलेयर पीसीबी सहित 11 अहम इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट्स के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का अनुमान है कि इस पहल से 5,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा।

यूपी बनेगा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब

कैबिनेट ने इस नीति को केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के अनुरूप लागू करने का फैसला किया है। उद्यमियों को केंद्र की योजना के समकक्ष अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेंगे। नीति का क्रियान्वयन शासन स्तर पर गठित नीति कार्यान्वयन इकाई और सशक्त समिति की देखरेख में होगा। इस फैसले से यूपी का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग इकोसिस्टम और मजबूत होगा तथा प्रदेश ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित होगा।

यूपी की आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को बल

प्रमुख सचिव अनुराग यादव ने बताया कि बीते 8 वर्षों में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र ने अभूतपूर्व प्रगति की है। 2015 में जहां केवल 2 मोबाइल यूनिट कार्यरत थीं, वहीं आज यह संख्या 300 तक पहुंच गई है। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 1.9 लाख करोड़ से बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। मोबाइल निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इस क्रांति में यूपी सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है, जहां देश के आधे से ज्यादा मोबाइल फोन का उत्पादन होता है। नई नीति से प्रदेश का आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी।

पारिवारिक संपत्ति बंटवारे पर बड़ी राहत

कैबिनेट ने पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए विभाजन विलेख पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस को अधिकतम 5,000 रुपये तक सीमित करने का भी ऐतिहासिक निर्णय लिया है। वर्तमान में इस पर 4% स्टाम्प शुल्क और 1% रजिस्ट्रेशन फीस लागू होती है, जो संपत्ति के मूल्य पर आधारित है। नई व्यवस्था से लोग विलेख रजिस्टर कराने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे दीवानी और राजस्व न्यायालयों में लंबित मुकदमों की संख्या घटेगी और पारिवारिक विवाद भी कम होंगे।

राजस्व में लंबी अवधि में होगी वृद्धि

हालांकि इस निर्णय से अनुमानित 5.58 करोड़ रुपये का स्टाम्प शुल्क और 80.67 लाख रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क का तत्काल राजस्व नुकसान होगा, लेकिन रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ने से दीर्घकाल में राजस्व में वृद्धि की संभावना है। यह व्यवस्था तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से लागू है और वहां इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

 

 

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