अमेरिका के ‘ब्राह्मण’ बयान पर भारत में बवाल
नवारो के आरोप से मचा सियासी तूफान, विपक्षी नेताओं में तीखी बहस

वाशिंगटन/नई दिल्ली,
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के विवादित बयान ने भारत में सियासी भूचाल ला दिया है। नवारो ने आरोप लगाया कि भारत में ‘ब्राह्मण’ वर्ग मुनाफाखोरी कर रहा है और यह भारतीय जनता के हितों के खिलाफ है।
‘फॉक्स न्यूज संडे’ को दिए इंटरव्यू में नवारो ने कहा—
> “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि वे रूस और चीन के नेताओं के साथ क्यों सहयोग कर रहे हैं। भारतीय जनता को समझना चाहिए कि उनके देश में ब्राह्मण लोगों की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं।”
उनके इस बयान ने भारत के राजनीतिक गलियारों में आग लगा दी।
विपक्षी नेताओं में जुबानी जंग
शिवसेना (UBT) की प्रियंका चतुर्वेदी और टीएमसी नेता सागरिका घोष के बीच सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई।
सागरिका ने ट्वीट कर कहा कि अंग्रेज़ी भाषी दुनिया में ‘ब्राह्मण’ शब्द का इस्तेमाल धनी और अभिजात वर्ग के लिए किया जाता है। उन्होंने इसे भारतीय संदर्भ में गलत समझने को ‘निरक्षरता’ बताया।
जवाब में प्रियंका चतुर्वेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि यह बयान “शर्मनाक और भयावह” है और किसी भी जाति विशेष पर टिप्पणी अस्वीकार्य है।
कांग्रेस का हमला
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने नवारो के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अमेरिका को ऐसे “बेबुनियाद और विभाजनकारी” बयान देने से बचना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान ट्रंप प्रशासन की भारत विरोधी नीतियों का हिस्सा है।
खेड़ा ने हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर 25% पारस्परिक शुल्क और रूसी तेल की खरीद पर अतिरिक्त टैक्स लगाए जाने को भी इसी मानसिकता से जोड़ा।
भारत-अमेरिका रिश्तों पर नया तनाव
नवारो का विवादित बयान न सिर्फ भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को कटघरे में खड़ा करता है, बल्कि देश के आंतरिक सियासी माहौल को भी गरमा गया है। राजनीतिक हलकों में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह बयान सिर्फ ट्रंप कैंप की सियासत है या भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों में गहराते तनाव का संकेत।