जैन बाग मंदिर में दशलक्षण महापर्व के चैथे दिन हुआ उत्तम शौच धर्म का आयोजन

शहरी चौपाल ब्यूरो
सहारनपुर। नगर में चल रहे दस दिवसीय दशलक्षण महापर्व के अंतर्गत चतुर्थ दिवस उत्तम शौच धर्म की पूजा-अर्चना और भक्ति भाव से आयोजन किया गया। जैन बाग स्थित महान अतिशयपूर्ण मंदिरजी के श्री वीरोदय तीर्थ मंडपम् में परम पूज्य आचार्य प्रवर श्री विमर्शसागर जी महाराज ससंघ की पावन सन्निधि में श्री जिनेंद्र प्रभु के मंगलमय जिनबिम्ब पर अभिषेक, शांतिधारा व विश्व शांति हेतु विशेष पूजा सम्पन्न की गई। धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य प्रवर श्री विमर्शसागर जी महाराज ने कहा कि दृ शौच का अर्थ मात्र स्नान या बाहरी स्वच्छता से नहीं है। शरीर तो अशुचि पदार्थ से निर्मित है, वास्तविक शुचिता आत्मा की पवित्रता से प्रकट होती है। जब मनुष्य लोभ, झूठ, चोरी, हिंसा, परिग्रह व इन्द्रिय विषयक आसक्ति का त्याग करता है, तभी आत्मा में उत्तम शौच धर्म का उदय होता है। उन्होंने लोभ को समस्त कलह और अशांति का मूल बताते हुए कहा कि लोभ त्याग कर ही जीवन में शांति, सुख और कल्याण पाया जा सकता है। समाज अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने कहा कि क्रोध, मान, माया और लोभ में लोभ सबसे बड़ा शत्रु है। लोभ के रहते आत्मा की शुचिता संभव नहीं है। संतोष ही शौच धर्म की आधारशिला है। पूर्व भाजपा महानगर अध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि शौच धर्म के लिए इन्द्रिय भोग और धन संग्रह की प्रवृत्ति का त्याग करना आवश्यक है। पुण्य के उदय से धन बढ़ता है और पाप से स्वतः नष्ट हो जाता है। सीए अनिल जैन ने अपने संबोधन में कहा कि लोभी व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता, वह स्वयं भी धन का उपभोग नहीं करता और दूसरों को भी नहीं करने देता। जबकि संतोषी प्राणी विपरीत परिस्थितियों में भी प्रसन्न रहता है। धर्मसभा में समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन, संरक्षक राकेश जैन, सीए अनिल जैन, महामंत्री सजीव जैन, चै. अनुज जैन, उपमंत्री अविनाश जैन नाटी, उपाध्यक्ष विपिन जैन, अरुण जैन, उप चै. संदीप जैन, नितिन जैन, राजा जैन, आयुष जैन, निखिल जैन, चै. अवनीश जैन, मीडिया प्रभारी नीना जैन, आयुष जैन, राजा रवि जैन (कूलर वाले) सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।