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गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा ने निकाला विशाल नगर कीरतन

 

सहारनपुर। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पृथम प्रकाश भादोंसुदी 1 संमत 1661 मुताबिक सितंबर 1604 ईसवी में श्री अमृतसर साहिब में पांचवें पातशाह (गुरु) श्री गुरू अस्जन देव जी द्वारा किया गया। उस समय पहले ग्रंथी बाबा बूढ़ा जी बनाये गये, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को उस समय पोथी साहिब कहा जाता था। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में श्री गुरु नानक देव जी (974 शब्द एवं श्लोक), श्री गुरु अंगद देव जी (63 श्लोक), श्री गुरु अमरदास जी (907 पद एंव श्लोक), श्री गुरू रामदास जी (679 पद एवं श्लोक), श्री गुरू अरजन देव जी (2218 पद एवं श्लोक), श्री गुरु तेग बहादुर जी (115 पद एवं श्लोक) की बाणी दर्ज है। इसके अलावा भगत कबीर जी, भगत जैदेव जी, भगत नामदेव जी, भगत रविदास जी, भगत त्रिलोचन जी, शेख फरीद जी, भगत रामानंद जी. भगत सधना जी, भगत बेणी जी, भगत धंन्ना जी, भगत पीपा जी, भगत सेन जी। भारतीय इतिहास में पहली बार, छोटी जाति में जन्में ळागत जनों को को किसी उंची कुलध्परिवार में जन्मे गुरू ने अपने बराबर की गुरू बाणी के साथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है। इस के अलावा 11 भटों के स्वईये भी गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है। नगर कीरतन गुरुद्वारा संत भागमल देहरादून रोड से प्रातः 7 बजे आरम्भ होकर घंटा घर, गुरू तेग बहादुर मार्ग, कुतुबशेर चैक, अम्बाला रोड, पटेल नगर, सुभाष नगर, अमर कुटीया, गली माघो प्रसाद, गरुद्वारा रोड से गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा पर सम्पन्न हुआ। जगह जगह श्रद्वालुओं ने स्टाल लगाकर प्रसाद वितरित किया। नगर कीरतन के आयोजन का संचालन प्रधान स. सुजसबीर सिंघ, सीनीयर मीत प्रधान प्रभजोत सिंघ, मीत प्रधान प्रमिन्द्र सिंघ कोहली, जनरल सकत्तर अमनप्रीत सिंघ, मीत सकत्तर छवप्रीत सिंघ, कोषाध्यक्ष प्रितीपाल सिंघ जुनेजा, करनदीप सिंघ, के साथ रनजीव सिंघ हरजी, हरेन्द्र सिंघ चड्ढा, तजिन्द्र सिंघ डंग, ईन्द्रजीत सिंघ खालसा, तीनो स्कूलो के प्रबन्धक सतविन्द्र सिंघ माकन, गुरविन्द्र सिंघ कालरा जी, जसवंत सिंघ बतरा, एम. पी. सिंघ चावला, ईन्द्रप्रीत सिंघ चड्ढा, बलबीर सिंघ धीर, ईन्द्रजीत सिंघ बतरा, जगमोहन सिंघ, जसबीर सिंघ बग्गा, दलजीत सिंघ बवेजा, हरप्रीत सिंघ, गुरदियाल सिंघ, बलबीर सिंघ भाटीया, परमजीत सिंघ चड्ढा, दीदार सिंघ सेठी, रघुवीर सिंघ, ईन्दजीत सिंध गुरकिरपा, गुरप्रीत सिंघ बग्गा, गुरमीत सिंघ शंटी, उपकार सिंघ सेठी, तरनजीत सिंघ बग्गा, कंवलजीत सिंह बतरा एवं अन्य संगत द्वारा किया गया।

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